ईंट एवं ईंटों का वर्गीकरण

लेखक - मोनू दलाल



ईंट क्या है ?                                        ईंट मानव द्वारा प्रायोजित एक निर्माण सामग्री है। ईंट मिट्टी से तैयार किया गया एक आयताकार ढांचा होता है। मनुष्य जाति लगभग 7000 वर्ष पूर्व से ईंटों का प्रयोग करती आ रही है। ईट निर्माण कार्यों के लिए सबसे पुरानी सामग्रियों में से एक है। जब भी कभी निर्माण सामग्री चुनने की बात आती है तो ईंट को ही निर्विवाद रूप से चूना जाता है। एक ही सबसे आसानी से उपलब्ध और टिकाऊ निर्माण सामग्री है। सर्वप्रथम ईंटे गर्म जलवायु वाले क्षेत्रों में बनाई गई थी और उन्हें सख्त करने के लिए धूप में सुखाया जाता था। एवं परंपरागत रूप से ईंट शब्द निर्माण सामग्री की एक छोटी सी इकाई को संदर्भित करता है। ईटों के निर्माण में मिट्टी आज भी एक मुख्य घटक है परंतु अन्य घटक जैसे चुना, रेत, कंक्रीट आदि से भी ईंटे बनाई जाती है। मुख्यतः ईंटों का दीवार बनाने, सड़क बनाने आदि कार्यों में प्रयोग किया जाता है। 

ईंटों का आकार :-                                वैसे तो पुराने और आधुनिक समय में ईंटों का आकार अलग अलग ही रहा है। परंतु इसमें बहुत अधिक अंतर नहीं रहा। ईंटों का वास्तविक आकार 190*90*90 मिमी होता है। ईंट का नामिनल आकार 230*115*75 मिमी होता है। ईंट का औसत भार 3 से 4 किलोग्राम होता है।


ईटों के घटक :-                                  वैसे तो मिट्टी ही ईंट का मुख्य घटक है परंतु भिन्न-भिन्न प्रकार की ईंटों के लिए भिन्न-भिन्न प्रकार के घटकों का प्रयोग किया जाता है। निम्नलिखित घटक इस प्रकार हैं                एल्यूमिना 20% से 30% , सिलिकॉन 50 % से 60%, चूना 5% से अधिक, आयरन आक्साइड 5% ओर मैगनिशिया कम मात्रा में प्रयोग किया जाता है। 



ईंटों का वर्गीकरण :-                              ईंटों को उनकी गुणवत्ता के आधार पर कई श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जो निम्नलिखित हैं -                                  1. धूप में सुखाई गई ईंटें -                       धूप में सुखाई गई ईंटों का निर्माण ढलाई की प्रक्रिया के बाद धूप की छांव में किया जाता है इन ईंटों का उपयोग अस्थाई निर्माण में किया जा सकता है। जिन क्षेत्रों में भारी वर्षा होती है वहां इनका कम ही प्रयोग किया जाता है। 

 


                                                       2. पकी हुई ईंटें -                                   इन ईंटों को भट्ठों में पकाया जाता है इनसे स्थाई संरचनाओं का निर्माण किया जाता है ओर यह लगभग एक समान आकार की होती हैं जो निर्माण को मजबूती प्रदान करती हैं। पकी हुई ईटों को भी चार श्रेणियों में वर्गीकृत किया गया है जो इस प्रकार है -    



(क) प्रथम श्रेणी की ईंटें - ये ईंटें अच्छे से पकाई जाती हैं जो लगभग एक समान आकार की होती हैं,। प्रथम श्रेणी की ईंटों का स्थाई संरचनाओं में अधिक प्रयोग किया जाता है ओर रंग और बनावट जी बिल्कुल सही होते हैं।                                        (ख) द्वितीय श्रेणी की ईंटें - ये ईंटें अनियमित आकार की होती हैं, जिनमें दरारें भी होती हैं। इन ईटों की सतह और किनारे खुरदुर होते हैं। इन ईटों को लिपाई की आवश्यकता होती है।                              (ग) तृतीय श्रेणी की ईंटें - ये ईंटें भी अनियमित्त आकार की होती हैं, इनकी सतह ओर किनारे भी खुरदरे होते हैं। इनके आपस में टकराने से नीरज ध्वनि उत्पन्न होती है  जिनका प्रयोग अस्थायी संरचनाओं के निर्माण में किया जाता है।                      (घ) चौथी श्रेणी की ईंटें - इन ईटों को प्रायः चटका भी कहा जाता है। जो अनियमित आकार की होती हैं, जिनका प्रयोग सड़क निर्माण, नींव निर्माण आदि में किया जाता है।

3. फ्लाई ऐश ईंटें - ये ईंटें आधुनिक युग निर्माण सामग्री के रूप में प्रयोग कि जाती हैं। इन्हें कोयले के जलाने के बाद प्राप्त किया जाता है। अगर देखा जाए तो इन्हें बनाने में अधिक प्रदूषण होता है, जो कि उचित नहीं है। इस प्रकार की ईंटों को पानी में भिगोने की आवश्यकता नहीं होती।       4. कंक्रीट की ईंटें - ये ईंटें कंक्रीट, रेत, पानी आदि के मिश्रण से तैयार की जाती हैं। इन्हें आवश्यकता के अनुसार से आकार में डाला जा सकता है। ये मिट्टी की ईंटों से अधिक मजबूत होती हैं।                          5. इंजीनियरिंग ईंटें -  इन ईंटों की अधिक संपीडन शक्ति होती है इन्हें अधिकतर भूमिगत तल (बेसमेंट)में प्रयोग किया जाता है। इनके साथ साथ कुछ आधुनिक प्रकार की ईंट भी आजकल प्रचलन में है जैसे -    इको ईंटें, कैल्शियम सिलिकेट ईंटें, झामा ईंटें ओर खोखली ईंटें आदि।

एक सही ईंट के गुण -                            एक सही और अच्छी ईंट को मुख्यत: है कुछ नियमों का पालन करना होता है जैसे -      ईंट एक समान आकार, कठोर व दरारों से मुक्त होनी चाहिए। ईंटों को आपस में टकराने पर अच्छी ध्वनि होनी चाहिए। ईंट दिखने में तांबे के रंग की होनी चाहिए। यदि ईंट को 1 मीटर की ऊंचाई से पक्के स्थान पर गिराया जाए तो वह टूटनी नहीं चाहिए। एक दिन तक पानी में भिगोने पर नमक जमा नहीं होना चाहिए।

ईंटों में जोड़ (बांड) -                              ईंटों में जोड़ या बांड एक क्रिया है जिसका उपयोग निर्माण कार्यों में ईंटों के कतार में लगाने व अरेंजमेंट करने के लिए किया जाता है। ईंटों में जोड़ निर्माण को मजबूती प्रदान करते है। सामान्यत: ये जोड़ तीन प्रकार के है :-                                         

1. फलेमिश जोड़।                                2. अंग्रेजी जोड़।                                    3. स्ट्रैचर जोड़।   










ईंटों का निर्माण -                                  ईंटों के निर्माण की प्रक्रिया को चार अलग-अलग भागों में बांटा गया है, जो इस प्रकार  हैं -                               ‌‌                   

1. मि‌‌ट्टी की तैयारी - मिट्टी को सर्व प्रथम ईंट बनाने के लिए तैयार किया जाता है, जो इस प्रकार से है, ऊपर की परत को हटाना, खुदाई, सफाई, अपक्षय, समि्मश्रण, टेम्परिंग।

2. मिट्टी की ढलाई - ईंट को आकार देने के लिए मिट्टी को ढलाई की आवश्यकता होती है, जिसके दो प्रकार हैं - हाथ मोल्डिंग ओर मशीन मोल्डिंग।

3. सुखाना - इस विधि में ईंटों को आकार देने के बाद सुखाने की प्रक्रिया है, जो इस प्रकार है - वायु परिसंचरण, धूप में सुखाना, सुखाने की अवधि, स्क्रीन।

4. पकाना - ईंट निर्माण में पकाने की विधि सबसे महत्वपूर्ण है, जिसमें ईंटों को भट्ठों में पकाया जाता है।


 

इस प्रकार ईंटों का निर्माण कार्य पूर्ण होता है ओर ईंटें निर्माण कार्य के के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती हैं।

                           




                                                        





Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

DHOLAVIRA AND IT'S ARCHITECTURE